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Department of Hindi

 
 
     
 

डॉ. कुबेर कुमावत
हिंदी विभाग अध्यक्ष,
एम.ए.(हिंदी),पीएचडी, सेट.

 
 
 
 
 
 

 हिंदी विभाग

 

  स्थापना : 

       प्रताप महाविद्यालय के हिंदी विभाग की स्थापना १ जून,१९५९ को हुई. कला शाखा के अंतर्गत सर्वप्रथम स्नातकोत्तर कक्षाओं का प्रारंभ १ जून,१९६४ से हुआ एवं तत्पश्चात १ जून,१९६७ से स्नातक कक्षाओं का प्रारंभ हुआ.वाणिज्य शाखा के अंतर्गत प्रथम वर्ष वाणिज्य में प्रारंभ से ही हिंदी का अध्यापन हो रहा था. सन १९८८ से स्नातक स्तर ( बी.ए.) में वैकल्पिक विषय के रूप में प्रयोजनमूलक हिंदी विषय का अध्यापन प्रारंभ हुआ जो विभाग के लिए अत्यंत गौरव की बात थी. सन २००१ से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) नयी दिल्ली द्वारा आर्थिक सहायता से विभाग में फंक्शनल हिंदी प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (CCFH),पदविका पाठ्यक्रम (DFH)  एवं उन्नत पदविका पाठ्यक्रम (ADFH) प्रारंभ होने से विभाग को एक नयी दिशा एवं आयाम प्राप्त हुआ. इन तीनों पाठ्यक्रमों के प्रारंभ का गौरव उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय जलगाँव के अंतर्गत केवल इसी हिंदी विभाग को प्राप्त हुआ जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि स्वीकार की जा सकती है. 

उद्देश्य एवं लक्ष्य : 

                  भारत की राष्ट्रभाषा होने के साथ साथ हिंदी भारतीय संघ की राजभाषा भी है. अतः राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का अपना विशेष महत्व है. संविधान के अनुच्छेद ३४३ में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी भारतीय संघ की राजभाषा होगी.अतः स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में हिंदी भाषा ,व्याकरण एवं साहित्य के व्यापक अध्ययन-अध्यापन का युग प्रारंभ हुआ.प्रताप महाविद्यालय का हिंदी विभाग भी इस वातावरण से अस्पर्शीय नहीं रहा. हिंदी साहित्य,भाषा,व्याकरण के साथ साथ हिंदी भाषा के प्रयोजनमूलक रूप के भी विशेष अध्ययन की सुविधा छात्रों को प्राप्त हुई. हिंदी साहित्य के अध्ययन-अध्यापन का उद्देश यह हैं कि राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कुशल एवं तेजतर्रार हिंदी अध्यापकों का निर्माण किया जा सकें.उन्हें व्यापक स्तर पर हिंदी अध्यापकों का रोजगार मिल सकें और इस माध्यम से देश एवं राष्ट्रभाषा की सेवा भी हो सकें.विद्यालयों,महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में हिंदी अध्यापन की व्यापक सुविधाएं हैं.इसके अतिरिक्त यह भी लक्ष्य निर्धारित किया गया कि हिंदी भाषा का विधिवत ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर उच्च प्रशासनिक सेवाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज जा सकें.हिंदी भाषा में रोजगार की अपार संभावनाएं है.बैंक,बीमा,डाक,रेलवे,प्रशासन,पत्रकारिता,मीडिया,फिल्म,दूरदर्शन, आकाशवाणी में प्रतिभाशाली युवाओं की नितांत आवश्यकता हैं.हिंदी अधिकारी,राजभाषा अधिकारी,हिंदी अनुवादक,लिपिक, हिंदी निदेशक,प्रबंधक,संवाददाता,संपादक,जनसंपर्क अधिकारी,मुद्रित शोधक,उद्घोषक,पटकथा लेखक,गीतकार,संवाद लेखक, नाटककार,समाचार लेखक आदि अनेक प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं.अतः छात्र-छात्राओं को विभाग में रोजगार की दृष्टी से पर्याप्त दिशानिर्देशन किया जाता हैं.

                      मराठी भाषी क्षेत्र होने के कारण छात्रों को हिंदी बोलने एवं लिखने में प्रारंभ में कुछ-कुछ असह्ज प्रतीत होना स्वाभाविक है. हिंदी को सुनने एवं समझने में कोई कठिनाई नहीं आती परंतुधीर धीरे विभाग के छात्र आत्मविश्वास हिंदी बोलने में समर्थ हो जातें है.विभाग में आयोजित विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं एवं सत्र परीक्षाओं में विशेष योग्यताप्राप्त एवं सफल छात्रों को नगद पुरस्कार एवं उपहार में पुस्तकें वितरित की जाती हैं.आर्थिक रूप से दुर्बल छात्रों को ‘कमवा व् शिका’ योजना के अंतर्गत भी सहायता की जाती हैं.भारत सरकार द्वारा प्रदान की जानेवाली ‘अहिंदी भाषी छात्रवृत्ति’, ‘रजत जयंती पुरस्कार’, ‘बुक-बैंक योजना’ आदि के माध्यम से छात्रों को विशेष प्रकार की प्रेरणा एवं प्रोत्साहन दिया जाता है.विभाग में छात्रों के समुचित एवं विविधांगी विकास हेतु अनेक प्रकार के आयोजन किये जाते हैं जिनमें हिंदी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता,निबंध प्रतियोगिता,काव्य प्रतियोगिता,हिंदी सुलेखन प्रतियोगिता, नेट-सेट कार्यशाला,पुस्तक प्रदर्शनी,अतिथि व्याख्यान के अतिरिक्त हिंदी में पत्र लेखन,कहानी लेखन,यात्रावृत्त लेखन, आवेदन लेखन आदि प्रकार के रचनात्मक लेखन संबंधी यथासमय विशेष आयोजन किये जाते हैं.साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिभावक सभा,पूर्व छात्र सभा,रंगोली,चित्र,पोस्टर प्रदर्शनी,प्रेमचंद जयंती,तुलसी जयंती,हिंदी दिवस तथा अभ्यास यात्राओं का भी नित्य आयोजन होता हैं.वार्षिक अभ्यास यात्राओं में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा,महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,दिल्ली पुस्तक मेला,साहित्य सम्मलेन प्रयाग,नागरी प्रचारिणी सभा काशी,केन्द्रीय हिंदी निदेशालय,केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा,काशी विश्वविद्यालय,लखनौ विश्वविद्यालय,प्रयाग विश्वविद्यालय,साहित्य अकादमी,भारतीय ज्ञानपीठ,हिंदी भवन भोपाल,माधवराव सप्रे संग्रहालय भोपाल,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा,मथुरा,वृन्दावन,अयोध्या आदि स्थानों को सुनिश्चित किया गया हैं.

                      हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात विभाग में हिंदी भाषा,साहित्य में पीएच.डी.या अन्य अनुसंधान हेतु पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं.विभाग के सभी प्राध्यापक पीएच.डी.निर्देशक (गाईड) के रूप में विश्वविद्यालय द्वारा मान्यताप्राप्त हैं.महाविद्यालय एवं विभाग के पुस्तकालय में हिंदी के अत्यंत दुर्लभ पुस्तकों का भंडार उपलब्ध हैं.इनमें मुख्यतः साहित्यिक रचनाएं,संदर्भ पुस्तकें,ग्रंथावलियां,शब्दकोश एवं हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं का समावेश हैं.कार्यालयीन हिंदी,प्रशासनिक हिंदी,बैंकिंग,कम्प्यूटिंग हिंदी,राजभाषा हिंदी,पत्रकारिता,मीडिया आदि से संबंधित स्तरीय एवं सूचनापरक पुस्तकों भी विभाग में विशेष संग्रह हैं.छात्रों को कार्यालयीन हिंदी प्रयोग,मीडिया लेखन आदि  से संबंधित प्रशिक्षण देने की भी विभाग की योजना है.इस संबंध में कुछ परियोजनाओं को भी कार्यान्वित करने का विभाग का मानस है.हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार,हिंदी सेवा आदि के माध्यम से छात्रों में भारत की सामासिक संस्कृति का पोषण करना,उनमें भारत की एकता,राष्ट्रीयता का भाव जगाना,हिंदी बोलने-लिखने अर्थात सम्प्रेषण को लेकर परस्पर आत्मीयता का भाव जगाना,हिंदी के माध्यम से उनमें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने का आत्मविश्वास जगाना,उत्तम,शानदार,परिपक्व,प्रतिभासंपन्न हिंदी के अध्यापक,लेखक,आलोचक,अनुसंधानकर्ता, हिंदी अधिकारी,पत्रकार,अनुवादक के रूप में छात्रों को राष्ट्र के बहुमुखी विकास सहायक बनाना ही हिंदी विभाग का लक्ष्य है.         

विभाग में कार्यरत एवं सेवानिवृत्त स्थायी अध्यापक एवं उनका कार्यकाल :

१) प्रा.कांतिलाल फूलचंद चोरडिया        : सेवानिवृत्त.  

२) प्रा.उत्तमचंद भागचंद कोठारी          : सेवानिवृत्त.

३) प्रा.डॉ.प्रभाकर सदाशिव पंडित         : सेवानिवृत्त.

४) प्रो.डॉ.सुरेश रामविलास माहेश्वरी       : ९ सितंबर,१९८५ से ३० सितंबर,२०१६. सेवानिवृत्त.

५) प्रा.डॉ.शैलजा सुरेश माहेश्वरी          : २० फ़रवरी,१९९० से ३१ मार्च,२०१९. सेवानिवृत्त.

६) प्रा.डॉ.कुबेर गोविंद कुमावत           : १८ अक्तूबर,२००१ से कार्यरत.

७) प्रा.डॉ.शशिकांत यशवंत सोनवणे       : १४ फ़रवरी,२००४ से कार्यरत.

८) प्रा.डॉ.कल्पना राजेंद्र पाटिल          : ६ नवंबर,२००४ से कार्यरत.  
 

विभाग में उपलब्ध सुविधा :

१)विभागीय ग्रंथालय.

२) संगणक एवं प्रिंटर.

३) प्रोजेक्टर एवं स्क्रीन.

४) इंटरनेट.

५) नेट-सेट परीक्षा मार्गदर्शन कक्ष.

 

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